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phool gobhi ki kheti

फूलगोभी के कीट एवं रोग

फूलगोभी के कीट एवं रोग

फूलगोभी की अगेती किस्म के सापेक्ष पछेती किस्मों में खाद एवं उर्वरकों की ज्यादा आवश्यकता होती है। सामान्यतया गोभी के लिए करीब 300 कुंतल  सड़ी हुई गोबर की खाद के अलावा 120 किलोग्राम नत्रजन एवं 60—60 किलोग्राम फास्फोरस एवं पोटाश आ​खिरी जाते में मिला देनी चाहिए। इसकी अगेती किस्मों में कीट एवं रोगों का प्रभाव ज्यादा रहता है लिहाजा बचाव का काम नर्सरी से ही शुरू कर देना चाहिए। 

नर्सरी प्रबंधन

 


 फूलगोभी की पौध तैयार करते समय की सावाधानी फसल को आखिरी तक काफी हद तक स्वस्थ रखती है। ढ़ाई बाई एक मीटर की सात क्यारियों में करीब 200 ग्राम बीज बोया जा सकता है। क्यारियों को बैड के रूप मेें करीब 15 सेण्टीमीटर उठाकर बनाएं। गोबर की खाद हर क्यारी में पर्याप्त हो। बीज बोने के बाद भी छलने से छानकर गोबर की खाद का बुरकाव करें। इसके बाद हजारे से क्यारियों में सिंचाई करते रहें। अगेती किस्मों में पौधे और पंक्ति की दूरी 45 एवं पछती किस्मों में 60 सेण्टीमीटर रखें। अगेती किस्मों में पांच छह दिन बाद एवं पछेती किस्मों में 12 से 15 दिन बाद सिंचाई करें। गोभी में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई सतत रूप से जारी रहनी चाहिएं ।

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रोगों में पौध गलन एवं डैम्पिंग आफ रोग एक प्रकार की फफूंद से होता है। इसके कारण पौधों को अं​कुरित होने के साथ ही हानि होती है। बचाव हेतु दो से तीन ग्राम कैप्टान से एक किलाग्राम बीज को उपचारित करके बोएंं। भूमिशोधन हेतु फारमेल्डीहाइड 160ml को ढाई लीटर पानी में घोलकर जमीन पर छिड़काव करें। काला सड़न रोग के प्रभाव से प्रारंभ में पत्तियों पर वी आकार की आकृति बनती है जो बाद में काली पड़ जाती है। बचाव हेतु नर्सरी डालाते समय बीज को 10 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर के घोल अथवा Streptocycline से उपचारित करके बोना चाहिए। गोभी में गिडार या सूंडी नियंत्रण हेतु पांच प्रतिशत मैला​​थियान धूल का 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बुरकाव करना चाहिए।

रंगीन फूलगोभी उगा कर किसान हो रहें हैं मालामाल, जाने कैसे कर सकते हैं इसकी खेती

रंगीन फूलगोभी उगा कर किसान हो रहें हैं मालामाल, जाने कैसे कर सकते हैं इसकी खेती

आजकल भारत के किसान पहले की तुलना में अधिक जागरूक हो गए हैं। फसल का उत्पादन करते हुए वह अलग अलग तरह की फसलें उगाने की कोशिश करते हैं। आजकल बाजार में डिमांड के हिसाब से किसान भी अपने कृषि करने के तरीके और फसलों की किस्म को बदल रहे हैं। यहां पर किसानों की ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है, कि वह डिमांड के हिसाब से फसल का उत्पादन करते हुए मुनाफा कमा सकें। सर्दियों में उत्तर भारत में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां पर गोभी की सब्जी ना बनाई जाती हो। आप सभी ने सफेद गोभी के बारे में तो सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी रंग बिरंगी यानी की पीली और बैंगनी रंग के फूल गोभी देखी है?

रंगीन फूलगोभी की खेती

हो सकता है कुछ लोगों ने आजकल बाजार में यह
रंग बिरंगी फूल गोभी देखी भी हो। किसानों के हवाले से मानें तो यह फूल गोभी आजकल किसानों को बहुत ज्यादा मुनाफा दे रही है और इसका उत्पादन उनके लिए काफी लाभकारी है। फूलगोभी की कई तरह की किस्म होती हैं और यह रंगीन गोभी भी उन्हीं में से एक हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि इस फूलगोभी में किसी भी तरह का आर्टिफिशियल रंग नहीं डाला जाता है। बल्कि यह प्राकृतिक तौर पर ही ऐसी दिखाई देती है। आइए, जानते हैं रंगीन फूलगोभी की खेती से जुड़ी अहम बातें।

पोषक तत्वों से भरपूर रंगीन फूल गोभी

अलग-अलग रंगों में आ रही फूल गोभी देखने में तो सुंदर लगती ही है। साथ ही, यह आपकी सेहत के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। विशेषज्ञों की मानें तो पीले रंग की फूलगोभी में कैरोटेना नामक तत्व और बैंगनी रंग की गोभी में एलेंटीना तत्व पाया जाता है। जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार है। साथ ही, यह दोनों तरह की फूल गोभी कैंसर से बचाव करने में भी मदद करती हैं। सफेद फूल गोभी के मुकाबले रंगीन फूल गोभी में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक आदि के गुण भी पाए जाते हैं। रंगीन गोभी बुज़ुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए लाभदायक है। अगर आप रंगीन फूलगोभी का सेवन करते हैं, तो यह आपकी इम्युनिटी बढ़ाता है और शरीर में हड्डियों को मजबूत बनाने में भी सहायक है। ये भी देखें: ब्रोकली की नई वैज्ञानिक उत्पादन तकनीक का सहारा लेकर पहाड़ी राज्यों के किसान कमा रहे हैं अच्छा मुनाफा, आप भी जानिए पूरी प्रक्रिया

कैसी होनी चाहिए रंगीन फूल गोभी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

सामान्य फूल गोभी की तरह इसकी खेती के लिए भी ठंडी और नमी वाली जलवायु उपयुक्त होती है। तापमान की बात की जाए तो पौधे के अच्छी तरह से विकास के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना गया है। रंगीन फूल गोभी का उत्पादन अगर आप करना चाहते हैं, तो ऐसी मिट्टी का इस्तेमाल करें जिसमें जीवाश्म की अधिकता हो। इसके अलावा अच्छी तरह से जल निकासी वाली व्यवस्था को अपनाएं। ताकि फसल में पानी खड़ा ना हो। मिट्टी का पी.एच. बैलेंस 5.5 से 6.6 के बीच होना चाहिए।

रंगीन फूल गोभी की बुवाई कैसे करें?

सबसे पहले खेत की तीन से चार बार जुदाई करके उसे समतल बना लें। रंगीन फूल गोभी बनाने के लिए पौधों की नर्सरी तैयार करना बेहद जरूरी है। आप लगभग 1 हेक्टेयर की जमीन में 200 से 250 ग्राम नर्सरी में बीज लगाने के बाद जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएं, तो उन्हें खेतों में लगाना चाहिए। पौधों को 60*60 या 60*45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं और एक बार पौधे लगाने के बाद थोड़ी सिंचाई ज़रूर करें। मौसम की बात की जाए तो चमकी फूल गोभी को लगाने के लिए सितंबर से अक्टूबर का समय काफी सही माना जाता है।

किस तरह से होगी रंगीन फूल गोभी में खाद और सिंचाई

किसी भी फसल की अच्छी उपज के लिए उसमें खाद डालना बेहद जरूरी है। रंगीन फूल गोभी में आप घर की बनी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला कर डाल सकते हैं। मिट्टी आदि की जांच के हिसाब से आप उसमें अपने अनुसार रासायनिक खाद भी डाल सकते हैं। अगर आपने मिट्टी की जांच नहीं करवाई है, तो 120 किलो नाइट्रोनस 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें। गोबर की खाद और कंपोस्ट को पौधों की रोपाई से 15 दिन पहले ही मिट्टी में मिला दें। अगर आप चाहते हैं, कि आप की फसल का उत्पादन अच्छे से हो और पौधों का विकास भी सही बना रहे तो 10 से 15 दिन के समय में सिंचाई जरूर करते रहें।

कितने दिनों में तैयार होती है रंगीन फूल गोभी की फसल

पौधों की रोपाई के बाद 100-110 दिनों बाद फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर जमीन से 200-300 क्विंटल गोभी की फसल प्राप्त होती है। सामान्य फूल गोभी के मुकाबले रंगीन फूलगोभी की आजकल बाजार में बेहद डिमांड है। इसलिए बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है और किसानों को बढ़िया मुनाफा भी मिल जाता है।
बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने गर्मी में भी उगने वाली गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया

बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने गर्मी में भी उगने वाली गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया

बिहार राज्य के नालंदा जनपद में किसानों ने 200 एकड़ में फूल गोभी की खेती चालू की है। विशेष बात यह है, कि नालंदा जनपद के किसान फूल गोभी की प्रजाति-6099 की खेती कर रहे हैं। फूल गोभी का सेवन हर किसी को पसंद है। 

सर्दी के मौसम में प्रमुख सब्जी फूल गोभी ही होती है। ऐसे लोग फूल गोभी से बनी भुजिया भी खाना काफी पसंद करते हैं। फूल गोभी के अंदर प्रोटीन, फॉस्फोरस, मैगनीज, पोटैशियम, फोलेट, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन के और फाइबर जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। 

इसका सेवन करने से कई सारे शारीरिक लाभ होते हैं। आमतौर पर सर्दी के मौसम में फूल गोभी बड़ी ही सहजता से मिल जाती है। परंतु, ग्रीष्मकाल में यह बाजार से गायब हो जाती है, क्योंकि गर्मी में इसका उत्पादन नहीं होता है। हालाँकि, अब से आपकों वर्षभर फूल गोभी खाने के लिए उपलब्ध मिलेगी।

कितने रकबे में गोभी की खेती शुरू हुई है

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, बिहार के नालंदा जनपद में किसानों ने 200 एकड़ में फूल गोभी की खेती चालू की है। विशेष बात यह है, कि नालंदा जनपद के किसान फूल गोभी की प्रजाति-6099 की खेती कर रहे हैं। 

उद्यान महाविद्यालय के प्राचार्य डा. पंचम कुमार सिंह का कहना है, कि पहले यहां किसान केवल सर्दी के मौसम में ही फूल गोभी की खेती किया करते थे। जुलाई माह में इसकी नर्सरी तैयार की जाती थी। 

गस्त महीने में पौधों की रोपाई का कार्य होता है, जिसके पश्चात अक्टूबर माह से बाजार में फूल गोभी आनी चालू हो जाती थी। परंतु, अब कृषि वैज्ञानिकों ने फूल गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया है। अब ऐसी स्थिति में किसान वर्षभर फूल गोभी की खेती कर सकते हैं।

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विगत वर्ष किस्म-6099 की खेती परीक्षण के तौर पर की गई थी

आजकल बदलते दौर में कृषि वैज्ञानिकों की निरंतर कोशिशों और शोधों के चलते नई-नई किस्में विकसित की जा रही हैं। बतादें कि गोभी की किस्म-6099 की विगत वर्ष परिक्षण के तौर पर खेती शुरू की थी, जिसका नतीजा भी सकारात्मक देखने को मिला है। 

इस वजह से किसानों ने इस वर्ष पहली बार ग्रीष्मकाल में गोभी की किस्म-6099 की खेती शुरू की है। बतादें, कि बबुरबन्ना, सोहडीह एवं आशानगर में तकरीबन 200 एकड़ भूमि पर किसानों ने गरमा फूलगोभी की खेती शुरू की है।

इसी कड़ी में किसानों का कहना है, कि गरमा फूल गोभी की खेती के लिए फसलचक्र भी तैयार कर लिया है। फरवरी माह में नर्सरी तैयार की जानी है, जिसकी पैदावार मई माह तक मिल पाएगी। 

साथ ही, दूसरी नर्सरी जून माह में तैयार की जाएगी, जिसकी पैदावार अक्टूबर माह तक मिल पाएगी। ऐसे में सीधी सी बात है खेती का क्षेत्रफल निश्चित तौर पर बढ़ेगा।

फूल गोभी की खेती करने हेतु जरुरी बात

केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर किसानों के हित में नई नई योजनाएं जारी करती रहती हैं। बागवानी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार एवं कृषि विभाग पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। 

बागवानी के क्षेत्र में किसानों के लिए गोभी की नई किस्म-6099 विकसित की गई है। यदि किसान भाई खरीफ सीजन में फूल गोभी का उत्पादन करना चाहते हैं, तो उनको बेहद ही सावधानियां बरतने की जरुरत पड़ेगी। 

बतादें, कि इस गोभी की किस्म में दो से तीन दिन के अंतराल पर फसल की सिंचाई करनी होगी। साथ ही, रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का इस्तेमाल करें। 

यूरिया खाद का उपयोग बिल्कुल भी ना करें। साथ ही, पौधरोपण से पूर्व प्रति चार कट्ठे में एक ट्रॉली गोबर डाल दें। इसके पश्चात खेत की जोताई करें।